- सपने तभी पूरे होते हैं, जब सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की जाए. वरना सपने देखते-देखते हीं जिंदगी गुजर जाती है और कोई भी सपना पूरा नहीं होता है.
दिन-रात मेहनत → सपने पूरे…………. - सपनों को ख्वाबों से हकीकत की जमीन पर उतारने के लिए, पूरी दुनिया को भूल कर कठिन परिश्रम करना पड़ता है.
- लोग तबतक आपके सपनों का तबतक मजाक उड़ाते हैं, जबतक आप सपने को हकीकत में नहीं बदल देते हैं. और जब आप सफल हो जाते हैं तो आपका मजाक उड़ाने वाले लोग भी आपकी तारीफ में कसीदे पढ़ने लगते हैं.
- अगर आप चाहते हैं कि आपके सपने पूरे हों, तो सबसे पहले आपको सपने देखने होंगे. – अब्दुल कलाम
- जिन्हें सपने पूरे करने की लत लग जाती है, वो दिन-रात देखे भी काम करते हैं.
- जिन लोगों की आँखों में सपने नहीं होते हैं, वे साधारण जिंदगी जीते हुए मर जाते हैं.
- अगर आप केवल सपने देखेंगे और उन्हें पूरे करने के लिए कोई कोशिश नहीं करेंगे, तो आपकी जिंदगी बदतर होती चली जाएगी.
- जो लोग खतरा उठाने की हिम्मत करते हैं, केवल उन्हीं लोगों के सपने पूरे होते हैं.
- कुछ बनने के नहीं, कुछ करने के सपने देखो.
- जिसे अपने वर्तमान को बर्बाद करने की आदत हो, उनके सपने आँखों में हीं दम तोड़ देते हैं.
- ये जिंदगी खुद एक खूबसूरत सपना है, लेकिन जिंदगी की भागदौड़ में हम इस सुनहरे सपने को जीना भूल जाते हैं.
- सपने बीज की तरह होते हैं. जैसे हर बीज बड़े पेड़ में नहीं बदलता, वैसे हीं हर सपना सफलता में नहीं बदल पाता है.
- मेहनत के बिना सपने अपना महत्व खो देते हैं.
- अच्छे लोगों के सपने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.
- सच्चे प्यार को पाना ज्यादातर लोगों के लिए एक सपना हीं रह जाता है. और वे हालात के साथ समझौता कर लेते हैं.
Wednesday, 5 October 2016
सपने तभी पूरे होते हैं......
क्या लिखूं ?
क्या लिखूं ?
मन की कहानी लिखूं
या आँखों का पानी लिखूं
क्या लिखूं ?
तितलियों का शरमाना लिखूं
या भँवरो का गुनगुनाना लिखूं
क्या लिखूं ?
हवाओं की झनकार लिखूं
या कोयल के गीत सदाबहार लिखूं
क्या लिखूं ?
बादलो में चाँद का छिप जाना लिखूं
या सूरज का हर रोज मुस्कुराना लिखूं
क्या लिखूं ?
धरती का श्रृंगार लिखूं
या बूंदों का उपहार लिखूं
क्या लिखूं ?
फूलों की महक लिखूं
या पत्तों की खनक लिखूं
क्या लिखूं ?
गंगा की पावनता लिखूं
या नारी की शालीनता लिखूं
क्या लिखूं ?
दीपक का जलना लिखूं
या अंधकार चीरकर आलोक का पथ गढ़ना लिखूं
क्या लिखूं ?
तारों का टिमटिमाना लिखूं
या मेरा उन्हें निहारते जाना लिखूं
क्या लिखूं ?
पंछियों का चहचहाना लिखूं
या कलियों का चटकना लिखूं
क्या लिखूं ?
मंदिर की घंटियों की आवाज लिखूं
या मस्जिद की अजान का आगाज लिखूं
क्या लिखूं ?
सरिता का निरंतर बहना लिखूं
या झरने का पहाड़ों से गिरना लिखूं
क्या लिखूं ?
सर्दियो की भीनी धूप का एहसास लिखूं
या रात में पड़ती ओस का आभास लिखूं
क्या लिखूं ?
सावन की रंगीली बहार लिखूं
या पतझड़ के मौसम का संहार लिखूं
क्या लिखूं ?
हवाओं की मीठी धुन सुनाना लिखूं
या फसल का उस पर लहराना लिखूं
क्या लिखूं ?
पतंगे का लौ के प्रेम में मिट जाना लिखूं
या सूर्यमुखी का भानु से नयन मिलाना लिखूं
क्या लिखूं ?
कृष्ण की बांसुरी का संगीत लिखूं
या मीरा की उनसे प्रीत लिखूं
क्या लिखूं ?
गुरु के चरण स्पर्श का अद्भुत सार लिखूं
या माँ के कोमल स्पर्श में बसा प्यार लिखूं
क्या लिखूं ?
बचपन के लड़कपन का जमाना लिखूं
या बारिशो में वो बेवजह का छपछपाना लिखूं
क्या लिखूं…………………………….
क्या लिखूं…………………………….
क्या लिखूं…………………………….
मन की कहानी लिखूं
या आँखों का पानी लिखूं
क्या लिखूं ?
तितलियों का शरमाना लिखूं
या भँवरो का गुनगुनाना लिखूं
क्या लिखूं ?
हवाओं की झनकार लिखूं
या कोयल के गीत सदाबहार लिखूं
क्या लिखूं ?
बादलो में चाँद का छिप जाना लिखूं
या सूरज का हर रोज मुस्कुराना लिखूं
क्या लिखूं ?
धरती का श्रृंगार लिखूं
या बूंदों का उपहार लिखूं
क्या लिखूं ?
फूलों की महक लिखूं
या पत्तों की खनक लिखूं
क्या लिखूं ?
गंगा की पावनता लिखूं
या नारी की शालीनता लिखूं
क्या लिखूं ?
दीपक का जलना लिखूं
या अंधकार चीरकर आलोक का पथ गढ़ना लिखूं
क्या लिखूं ?
तारों का टिमटिमाना लिखूं
या मेरा उन्हें निहारते जाना लिखूं
क्या लिखूं ?
पंछियों का चहचहाना लिखूं
या कलियों का चटकना लिखूं
क्या लिखूं ?
मंदिर की घंटियों की आवाज लिखूं
या मस्जिद की अजान का आगाज लिखूं
क्या लिखूं ?
सरिता का निरंतर बहना लिखूं
या झरने का पहाड़ों से गिरना लिखूं
क्या लिखूं ?
सर्दियो की भीनी धूप का एहसास लिखूं
या रात में पड़ती ओस का आभास लिखूं
क्या लिखूं ?
सावन की रंगीली बहार लिखूं
या पतझड़ के मौसम का संहार लिखूं
क्या लिखूं ?
हवाओं की मीठी धुन सुनाना लिखूं
या फसल का उस पर लहराना लिखूं
क्या लिखूं ?
पतंगे का लौ के प्रेम में मिट जाना लिखूं
या सूर्यमुखी का भानु से नयन मिलाना लिखूं
क्या लिखूं ?
कृष्ण की बांसुरी का संगीत लिखूं
या मीरा की उनसे प्रीत लिखूं
क्या लिखूं ?
गुरु के चरण स्पर्श का अद्भुत सार लिखूं
या माँ के कोमल स्पर्श में बसा प्यार लिखूं
क्या लिखूं ?
बचपन के लड़कपन का जमाना लिखूं
या बारिशो में वो बेवजह का छपछपाना लिखूं
क्या लिखूं…………………………….
क्या लिखूं…………………………….
क्या लिखूं…………………………….
जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
क्या हुआ जो देर हो रही, एक मुकाम पाने में
क्या हुआ जो देर हो रही, जिंदगी आसान बनाने में
क्या हुआ जो देर हो रही, किसी रास्ते पर चल पाने में
क्या हुआ जो देर हो रही, खुद को साबित कर पाने में
क्या हुआ अगर देर हो रही है, अपने सपनों की दुनिया सजाने में
देर से हीं सही, पर होगी कोई बात नई
तेरी आनेवाली जिंदगी होगी खुशियाँ भरी
क्यों मुस्कुराना भूलते हो, बीती बातों को याद करके
क्यों उलझनों में झूलते हो, वर्तमान को बर्बाद करके
दिल में जो ख्वाब हैं, उन्हें साकार करो तुम
अपने इरादों से दिन रात प्यार करो तुम
तुझमें दम है…. तो खुद की दुनिया बनाओ तुम
जो किसी ने नहीं किया हो, कुछ ऐसा कर जाओ तुम
जो रुक गया जिंदगी के सफर में, यहाँ बस वही हारा
जो चलता रहा जिंदगी में, वक्त ने खुद उसके जीवन को संवारा
तुम भी जी लो जिंदगी के एक-एक पल को खुल कर
क्योंकि जिंदगी ना मिलेगी फिर दोबारा.........
क्या हुआ जो देर हो रही, जिंदगी आसान बनाने में
क्या हुआ जो देर हो रही, किसी रास्ते पर चल पाने में
क्या हुआ जो देर हो रही, खुद को साबित कर पाने में
क्या हुआ अगर देर हो रही है, अपने सपनों की दुनिया सजाने में
देर से हीं सही, पर होगी कोई बात नई
तेरी आनेवाली जिंदगी होगी खुशियाँ भरी
क्यों मुस्कुराना भूलते हो, बीती बातों को याद करके
क्यों उलझनों में झूलते हो, वर्तमान को बर्बाद करके
दिल में जो ख्वाब हैं, उन्हें साकार करो तुम
अपने इरादों से दिन रात प्यार करो तुम
तुझमें दम है…. तो खुद की दुनिया बनाओ तुम
जो किसी ने नहीं किया हो, कुछ ऐसा कर जाओ तुम
जो रुक गया जिंदगी के सफर में, यहाँ बस वही हारा
जो चलता रहा जिंदगी में, वक्त ने खुद उसके जीवन को संवारा
तुम भी जी लो जिंदगी के एक-एक पल को खुल कर
क्योंकि जिंदगी ना मिलेगी फिर दोबारा.........
ज़िन्दगी की धूप-छाँव
कभी गम, तो कभी खुशी है ज़िन्दगी
कभी धूप, तो कभी छाँव है ज़िन्दगी . . . . . . .
विधाता ने जो दिया, वो अद्भुत उपहार है ज़िन्दगी
कुदरत ने जो धरती पर बिखेरा वो प्यार है ज़िन्दगी . . . . . .
जिससे हर रोज नये-नये सबक मिलते हैं
यथार्थों का अनुभव कराने वाली ऐसी कड़ी है ज़िन्दगी . . . . . .
जिसे कोई न समझ सके ऐसी पहेली है ज़िन्दगी
कभी तन्हाइयों में हमारी सहेली है ज़िन्दगी . . . . . . .
अपने-अपने कर्मों के आधार पर मिलती है ये ज़िन्दगी
कभी सपनों की भीड़, तो कभी अकेली है जिंदगी . . . . . . .
जो समय के साथ बदलती रहे, वो संस्कृति है जिंदगी
खट्टी-मीठी यादों की स्मृति है ज़िन्दगी . . . . . . . .
कोई ना जान कर भी जान लेता है सबकुछ, ऐसी है ज़िन्दगी
तो किसी के लिए उलझी हुई पहेली है ज़िन्दगी . . . . . . . .
जो हर पल नदी की तरह बहती रहे ऐसी है जिंदगी
जो पल-पल चलती रहे, ऐसी है हीं ज़िन्दगी . . . . . . . .
कोई हर परिस्थिति में रो-रोकर गुजारता है ज़िन्दगी
तो किसी के लिए गम में भी मुस्कुराने का हौसला है ज़िन्दगी . . . . . .
कभी उगता सूरज, तो कभी अधेरी निशा है ज़िन्दगी
ईश्वर का दिया, माँ से मिला अनमोल उपहार है ज़िन्दगी . . . . . . . .
तो तुम यूँ हीं न बिताओ अपनी जिंदगी . . . . . . . .
दूसरों से हटकर तुम बनाओ अपनी जिंदगी
दुनिया की शोर में न खो जाए ये तेरी जिंदगी . . . . . . .
जिंदगी भी तुम्हें देखकर मुस्कुराए, तुम ऐसी बनाओ ये जिंदगी.....
कभी धूप, तो कभी छाँव है ज़िन्दगी . . . . . . .
विधाता ने जो दिया, वो अद्भुत उपहार है ज़िन्दगी
कुदरत ने जो धरती पर बिखेरा वो प्यार है ज़िन्दगी . . . . . .
जिससे हर रोज नये-नये सबक मिलते हैं
यथार्थों का अनुभव कराने वाली ऐसी कड़ी है ज़िन्दगी . . . . . .
जिसे कोई न समझ सके ऐसी पहेली है ज़िन्दगी
कभी तन्हाइयों में हमारी सहेली है ज़िन्दगी . . . . . . .
अपने-अपने कर्मों के आधार पर मिलती है ये ज़िन्दगी
कभी सपनों की भीड़, तो कभी अकेली है जिंदगी . . . . . . .
जो समय के साथ बदलती रहे, वो संस्कृति है जिंदगी
खट्टी-मीठी यादों की स्मृति है ज़िन्दगी . . . . . . . .
कोई ना जान कर भी जान लेता है सबकुछ, ऐसी है ज़िन्दगी
तो किसी के लिए उलझी हुई पहेली है ज़िन्दगी . . . . . . . .
जो हर पल नदी की तरह बहती रहे ऐसी है जिंदगी
जो पल-पल चलती रहे, ऐसी है हीं ज़िन्दगी . . . . . . . .
कोई हर परिस्थिति में रो-रोकर गुजारता है ज़िन्दगी
तो किसी के लिए गम में भी मुस्कुराने का हौसला है ज़िन्दगी . . . . . .
कभी उगता सूरज, तो कभी अधेरी निशा है ज़िन्दगी
ईश्वर का दिया, माँ से मिला अनमोल उपहार है ज़िन्दगी . . . . . . . .
तो तुम यूँ हीं न बिताओ अपनी जिंदगी . . . . . . . .
दूसरों से हटकर तुम बनाओ अपनी जिंदगी
दुनिया की शोर में न खो जाए ये तेरी जिंदगी . . . . . . .
जिंदगी भी तुम्हें देखकर मुस्कुराए, तुम ऐसी बनाओ ये जिंदगी.....
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