प्यार का पता नहीं की वो क्या होता है। पर जब हम मिलते हैं
एक अजनबी से तो सब कुछ बदल जाता है।
उसकी छोटी छोटी बाते बहुत हँसाती हैं।
और दिल है की एक खुद की ही दुनिया बसा लेता है।
शायद किसी अजनबी का साथ जो दिल को अच्छा लगने लगे वही प्यार होता है।
चलिये प्यार के कुछ ऐसे ही रंग तलाशते हैं
एक नये प्यार की सुगबुगाहट हुई, दिल से दिल की कुछ बात हुई,
कशमकश में था ये दिल मेरा की कैसे ये दिल की हालत हुई,
सोचती रही रात भर तुमको,और सुबह की भी आहट हुई,
हिम्मत करके दिल ने मुझे संभाला,
और घबराते हुए बातो की शुरुआत हुई,
मैँ थी घबराई पर देखा जब पहली बार तुमको,
दिल में पुरानी सी जान पहचान सी निकल आई,
दिल बस तुमको ही सुने लगा।हर वक़्त तुमको ही जीने लगा,
कैसे ये दिल वगावत कर बैठा जो तुमसे मिलने चली आई,
होके मजबूर दिल से बस आके तुझमे समाई,
तुम्हारी हर बात अच्छी लगती है शहद सी घुली लगती है,
जो हुआ न था आज तक क्या वो मुझको हो गया,
ए मेरे अजनबी हमसफ़र क्या तुमसे प्यार हो गया,
अब तो तेरा जिक्र आते ही हया का एहसास होता है,
घूंघट में शर्म के छुपके दिल का हाल बेहाल होता है,
दोस्तों की बातों में भी वो हँसी नहीं आती,
पर जिक्र आते ही तेरा हँसी मुझमें कहीं बस सी जाती है,
जो नाम था अजनवी आज वो अपना हो गया,
कोरे कागज पे हाँथो से लिख देती हूँ,
हथेली को मेहबूब की मेहंदी में घोल देती हूँ,
कैसा ये हाल बेहाल हो गया शायद उस अजनबी से प्यार हो गया,
अब तो हर वक़्त तेरा ही ख्याल रहता है,
शाम से ही ढली रात का इंतज़ार रहता है,
उन्ही के ख्याल पर दिल हैरान रहता है,
बस देख लूँ एक बार फिर उनको यही दिल बार बार कहता है,
हाल ये मेरा कैसा हो गया है,शायद उस अजनबी से प्यार हो गया है,
एक पल में कोई अपना बना गया,
जो मेरा था दिल का चैन वो चुपके से ही चुरा गया,
एक बार कहा उसने आँखे तुम्हारी खूबसूरत हैं,
होंठ भी बेमिसाल हैं, सादगी के रंगो से सजी हो तुम,
इतना तो मैं भी नही जानती थी खुद को जितना वो मुझको बता गया,
मुझमे समाके खुद से बेगाना बना गया,
शायद यही तो प्यार है की एक अजनबी कैसे अपना हो जाता है,
उसकी छोटी छोटी बातों पे भी प्यार नजर आता है,
करेला था जो कडुवा कभी वही शहद सा मीठा हो जाता है,
होता है जो अजनबी बरसों से दूजे पल वही दिल में समाता है,
उसी अजनबी से प्यार हो जाता है।