काँटे क़िस्मत में हो
तो बहारें आये कैसे
जो नहीं बस में हो
उसकी चाहत घटाये कैसे
सूरज जो चढ़ता है
करते है उसको सब सलाम
ढूबते सूरज को भला
ख़िदमत हम दिलायें कैसे
वो तो नादान है
समंद्र को समझते है तालाब
कितनी गहराई है
साहिल से बताये कैसे
दिल की बातें है
दिल वाले समझते है जनाब
जिसका दिल पत्थर का हो
उसको पिघलाये कैसे
काँटे क़िस्मत में हो
तो बहारें आये कैसे
जो नहीं बस में हो
उसकी चाहत घटाये कैसे....
तो बहारें आये कैसे
जो नहीं बस में हो
उसकी चाहत घटाये कैसे
सूरज जो चढ़ता है
करते है उसको सब सलाम
ढूबते सूरज को भला
ख़िदमत हम दिलायें कैसे
वो तो नादान है
समंद्र को समझते है तालाब
कितनी गहराई है
साहिल से बताये कैसे
दिल की बातें है
दिल वाले समझते है जनाब
जिसका दिल पत्थर का हो
उसको पिघलाये कैसे
काँटे क़िस्मत में हो
तो बहारें आये कैसे
जो नहीं बस में हो
उसकी चाहत घटाये कैसे....
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