हो राहे मुस्किल या हो आसान साथ तुम निभाया करना
थमा है हाँथ तो उम्र भर मेरे साथ चलना
धुप हो या हो छाओं या चले आँधियों का सफर
मेरे चेहरे पे सदा तू अपने पलकों का साया करना
राह देखूँगी मैं तुम्हारी शाम-ओ-शहर
तो कभी जल्दी तो कभी देर से तुम आया करना
हो खता मुझसे कोई तो डाँट लेना सरे-महफ़िल
फिर अकेले में गले लगा कर मनाया करना
पहचान जाउंगी मै तुम्हे तुम्हारी खुशबू से
तुम आके पीछे से मेरी आँखों को बंद करना
जागूँ अगर रात भर मै तो तुम मुझसे बातें करना
जब नींद आ जये तो अपनी बाँहों में सुलाया करना
मैं आसीर हो जाऊं तेरी अल्फाज़ो की
तू ऐसे अपनी बातों में मोहब्बत की तपिश रखना.....
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