Friday 13 December 2019

At Last.. Happiness

Popping pills all the time,
Even though I know it's not right,
Cutting deep into my skin,
Gripping my blade tight.

Always trying to look my best,
When I actually look my worst.
I thought alcohol
would refresh my thirst.

I planned to have kids when I got older,
I want good things to tell.
But why I would I tell my children,
that all I wanted was to go to hell?

I had too many problems.
physically abused and bashed.
my arms, wrists, and legs,
had been both bruised and gashed.

I thought of myself,
As a strong Girl.
I wasn't strong at all..
Than I hit reality and realized life was real.

I had decided to stop,
and do what's right to get my life on track.
I realized so much had been wasted
and I needed to change because I could never take it back.

I'm a better person now.
I'm about to turn 16.
I can't believe how stupid and young I was,
and how I was so keen.

All the drugs and the alcohol,
the cutting and pain.
Have all disappeared,
now I'm one step ahead in this game.

I'm finally happy.

Choices

I see people laughing and joking all around,
but on my face there is no smile; instead there is a frown.

I never laugh anymore; instead I cry,
and I never stop to ask myself, "Why?"

I heard we live and die by the choices we make,
and there's only so much a person can take.

So just remember life goes on,
and it hurts when someone leaves and is gone.

So always remember, keep your head up,
because another door is opened every time one is shut.

Friday 13 September 2019

तू बोल मत तू कर दिखा

तू बोल मत तू कर दिखा
अपनी लकीरें खुद लिख आ,
आए जो मुश्किल रास्तों में
तू बिखर मत तू निखर जा
तेरी मंजिलें आसान नहीं
अभी, तेरी कोई पहचान नहीं
मिल जाए सब जहाँ सतह पर
ऐसी कहीं कोई खान नहीं
और जहाँ चला इस बार है तू
है एक कोयले की खान वो
मटमैल तर हो जाएगा
पर पायेगा पहचान को
बस मत सोचना कितने दबे है
हीरे उस बंजर ज़मीं में
जो काबिल हुआ तो लाख हैं
जो ना हुआ सब राख है
गिरने लगे जो हौसला
है बुलंद कितनी अकड़ दिखा
तू रुक नहीं तू थक नहीं
तू बोल मत बस कर दिखा

"बारिश"

आज बारिश की ताज़गी  ने तुम्हारी याद सी दिला दी 
तुम कहती थी न 
कि  तुम्हे बारिश बहोत पसंद है | 

तो बस ऐसे ही पहली बूँद सर पर गिरी 
तुम्हारी याद सी आ  गयी,
कुछ किस्से  याद आ गए 



जैसे----

याद है  कैसे मै तुम्हारे चेहरे की तरफ देख कर 
खोया-खोया सा रहता था,
बिन वजह मुस्कुराया करता था | 

पूछा करती थी की 
क्या देख रहे हो 
उस बात से बिलकुल अनजान बनने की कोशिश की 
तुम्हे देख रहा हूँ | 

क्यूँ न देखूं,

उन आँखों को जो कहानियां सुनाते-सुनाते उन्हें जिया भी करती थी,

कभी-कभी ख़ुशी के मारे 
इतनी बड़ी हो जाया करती थी की 
मानो ऐसा लगे,
की किसी तार्रे ने जन्म लिया हो | 

तो कभी अपनी आंशुओं के बोझ के तले छोटी हो जाया  करती थी 

और, फिर जान-बूझकर अपनी लटों को अपने कानों के पीछे करने  वाली आदत तुम्हारी,
के बार-बार तुम अपने, अपने झुमके दिखाना चाहती हो,

तुम चाहती थी की न मै उनकी तारीफ करूँ 

है ना,,

तुम्हे उनपे बहोत गुरुर है,

बिलकुल अपनी ईमानदारी की तरह 

फिर अचानक् ही तुम कभी -कभी पूछ लेती थी की,


प्यार क्यूँ करते हो??

की  मानो सवाल में कंही डर सा छुपा हो,
की कुछ  ऐसा न कह दूँ 

जो तुम्हे एक प्यार की आश दे, 
की ऐसा प्यार जो तुम कर चुकी हो | 

एक ऐसा प्यार जो तुम खो चुकी हो

पर तुम फिर भी सुनना चाहती हो 

क्योंकि सुने बिना तो तुमसे रहा भी नही जाता 


या फिर ऐसे प्यार की चाहत तुममें आज भी जिन्दा है,

खैर जो भी,
मै  कुछ नहीं कह पता था| 

क्योंकि, क्या कहता सारा कसूर तुम्हारी आँखों पर थोप देता,
या तुम्हारे नादान हरकतों पे,
तुम्हारे मुस्कान को वजह कह देता ,
या तुम्हारी कहानियों को | 

एक वजह  समझ में आता तो 
मै बता भी देता। 
पर,,,नहीं पता था | 

तो, एक बेवकूफ की तरह मुस्कुराता रहता था
पर तुम कान्हा समझती हो आज भी 
यही  सोचती हो की रिश्ते के दायरे बढ़ाने से 
ये रिश्ते ही न गँवा बैठो | 


तुम आज भी यही कहती हो की 
प्यार शायद हमें पास नहीं दूर करदे,

इसीलिए बहोत सोच समझ कर घूमती हो मेरे साथ,

थोड़ा दूर ही रखती हो मेरे से ताकि थोड़ा कम ही प्यार करूँ तुमसे,

ताकि मेरे नशीब थोड़ा कम दर्द आये 
ताकि ये रिश्ता थोड़ा लम्बा ही चले,
जैसा है वैसा ही रहे,


प्यार से छेड़खानी का पर प्यार का नहीं ||