Sunday 19 November 2017

You are the world to me

You are my love, you are my life
Probably the only one who can make me smile
Why don’t u feel, that i need u
My calls and my messages,
Can’t you see through??
I just want to hear your voice,
For today I don’t have much choice.
That i can look back, talk and see you around.
Being holding your hands so tight and walking in the moony night,
With no intention of leaving you aside
My head on your lap,
Staring at the stars,
Away from d world of ours
Feeling how complete the world is
How complete am i
But for now, just forget this all
U can’t even make one message or one call
I want to hear your voice
For please understand
I have no choice..

अरमान जगाएं

इतना सोच समझ के
कब तक चलेंगे खुद से बच के
क्यों न फिर बेपरवाह हो जाएँ
एक दूजे में फिर से खो जाएंं ।

थोड़ा इठला के शर्मा के
थोड़ा मुस्कुरा गुनगुना के
शिकायतों को तमाशा दिखाएँ
मीठी यांदो को दावत पे बुलाएँ ।

बिखरी बांतो को समेट के
बांधो गठरी जरा कास के
सफर बहुत है लम्बा
कहीं गाँठ खुल न जाए ।

देखता है कौन छुप छुप के
आज जाने ना पाये बच के
उसे छेड़े गुदगुदाए , सताए
उस अजनबी से नयन लड़ाए ।

ना समझ की बांते, ना आज कोई टोके
शोर मचाएं तोड़ टांग सुरों के
जलती रहीं मशाले, बुझ गए अरमान
आज मशालों को बुझा के फिर से अरमान जगाएं ।

Monday 6 November 2017

तेरे प्यार का रंग ऐसे मुझपे चढ़ता……

तेरे प्यार का रंग ऐसे मुझपे चढ़ता जाये
मेरे हुस्न का रंग और खिलता जाये

मुझपे पे चढ़ी ऐसी जवानी
मै बावरी हो गयी तेरी दीवानी

मै जब जब तेरे ख्यालों में डुबु
तेरे ही बाँहों में झुमु

करू मै तारो से बातें
और हवाओं के साथ चलूँ मैं

उडू मै तितली के संग संग
और बस जाऊं आके तेरे दिल मे

तेरे प्यार का रंग ऐसा मुझपे चढ़ता जाये
मेरे हुस्न का रंग और खिलता जाये

तस्वीर तेरी मैं रोज़ बनाऊं
प्यार के रंगों से उसे मै सजाऊँ

मै हो के गुस्सा कभी रूठ जाऊ
फिर देख तस्वीर तेरी मैं मान जाऊ

ये दिल कैसे कैसे रोग लगाए
तेरा प्यार ही उसे भाये

तेरे प्यार का रंग ऐसा मुझपे चढ़ता जाये
मेरे हुस्न का रंग और खिलता जाये.

काश वो दिन न आता

काश वो दिन न आता, जिस दिन हम मिले थे
न तुम आते, न मैं जाती
न मुझमें चाहतों की बाढ़ आती
तुमसे पहले एक सुहाना सफर था,
न मुझमें कोई उलझनों का भँवर था
काश वो दिन न आता,
जिस दिन हम मिले थे
न आँखों में तेरा कोई ख्वाब होता,
न दिल के पन्नों पर तेरा कोई इतिहास होता
काश वो दिन न आता,
जिस दिन हम मिले थे
माना तुम अच्छे हो, कि खुद को बता दिया
लेकिन क्यों मुझको ही, मुझसे भुला दिया
काश वो दिन न आता,
जिस दिन हम मिले थे
तुम तो समझदार हो, तो तुम हीं बता दो मुझे
कि मैं अब खुद का क्या करूँ
लोग मुझे भी समझदार कहते हैं
कुछ करने से पहले, मेरी भी राय लेते हैं
मगर तुम्हें देखने के बाद, मैं ना समझ हो गई
तो मैं क्या करूँ
धड़कते दिल की, उलझती साँसें
मेरे सुलझाने पर, और उलझे तो मैं क्या करूँ
तुमने कहा था, कि मुझे भूल जाओ
लेकिन भूलने के पहले, याद आते हो
तो मैं क्या करूँ
दुनिया की भीड़ में, मैं अकेली हो गई
खोजती हूँ खुद को, न जाने कहाँ मैं खो गई
अगर खोजने पर भी, मैं न मिलूँ
तो मैं क्या करूँ
काश वो दिन न आता
जिस दिन हम मिले थे......

सपने

सपने होते हैं परछांई से,
जितने कदम चलो उतने बढ़ते जाते हैं
कभी खुशहली,
तो कभी जंग वो बन जाते हैं
छोटे से मन में,
वो विशाल घर बनाते हैं
जिन्दगी की हकीकत में,
वो युद्ध छेड़ जाते हैं
सपने हैं परछांई से,
जितने कदम चलो उतने बढ़ते जाते हैं
नर्मी सा एहसास,
दिल में भर देते हैं
कभी हकीकत बन के,
सामने आ जाते हैं
कभी किसी से नही करते हैं,
वो भेद-भाव
चाहे राजा हो या भिखा की आँखें,
सबकी आँखों में आते हैं वो
सपने हैं परछांई से,
जितने कदम चलो उतने बढ़ते जाते हैं
ऊँचाई इतनी कि,
पल में चाँद और सूरज को छू लें
गहराई इतनी कि,
समुद्र की सतह में पल न लगे
गरीब को पल में,
अमीर वो बनाएँ
महबूबा को पल में,
प्रियतम से मिलाए
सपने हैं परछांई से,
जितने कदम चलो उतने बढते जाते हैं.......