Monday 6 November 2017

काश वो दिन न आता

काश वो दिन न आता, जिस दिन हम मिले थे
न तुम आते, न मैं जाती
न मुझमें चाहतों की बाढ़ आती
तुमसे पहले एक सुहाना सफर था,
न मुझमें कोई उलझनों का भँवर था
काश वो दिन न आता,
जिस दिन हम मिले थे
न आँखों में तेरा कोई ख्वाब होता,
न दिल के पन्नों पर तेरा कोई इतिहास होता
काश वो दिन न आता,
जिस दिन हम मिले थे
माना तुम अच्छे हो, कि खुद को बता दिया
लेकिन क्यों मुझको ही, मुझसे भुला दिया
काश वो दिन न आता,
जिस दिन हम मिले थे
तुम तो समझदार हो, तो तुम हीं बता दो मुझे
कि मैं अब खुद का क्या करूँ
लोग मुझे भी समझदार कहते हैं
कुछ करने से पहले, मेरी भी राय लेते हैं
मगर तुम्हें देखने के बाद, मैं ना समझ हो गई
तो मैं क्या करूँ
धड़कते दिल की, उलझती साँसें
मेरे सुलझाने पर, और उलझे तो मैं क्या करूँ
तुमने कहा था, कि मुझे भूल जाओ
लेकिन भूलने के पहले, याद आते हो
तो मैं क्या करूँ
दुनिया की भीड़ में, मैं अकेली हो गई
खोजती हूँ खुद को, न जाने कहाँ मैं खो गई
अगर खोजने पर भी, मैं न मिलूँ
तो मैं क्या करूँ
काश वो दिन न आता
जिस दिन हम मिले थे......

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