Friday 13 September 2019

तू बोल मत तू कर दिखा

तू बोल मत तू कर दिखा
अपनी लकीरें खुद लिख आ,
आए जो मुश्किल रास्तों में
तू बिखर मत तू निखर जा
तेरी मंजिलें आसान नहीं
अभी, तेरी कोई पहचान नहीं
मिल जाए सब जहाँ सतह पर
ऐसी कहीं कोई खान नहीं
और जहाँ चला इस बार है तू
है एक कोयले की खान वो
मटमैल तर हो जाएगा
पर पायेगा पहचान को
बस मत सोचना कितने दबे है
हीरे उस बंजर ज़मीं में
जो काबिल हुआ तो लाख हैं
जो ना हुआ सब राख है
गिरने लगे जो हौसला
है बुलंद कितनी अकड़ दिखा
तू रुक नहीं तू थक नहीं
तू बोल मत बस कर दिखा

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