Saturday 19 November 2016

Humsafar Ka Intzar

दिल को इंतेजार है उस हमसफ़र का जो आने वाला है,
जो मेरे ख्वाबों की दुनिया का राजकुमार बनें वाला है,
जिस के आने की आहट ही दिल को बेताब कर जाती है,
नजरें खुद-बा-खुद झुक जाती हैं,
पलकें उठाऊँ तो आइना भी ठिठोलिया किया करता है,
पूछता है किसने बढ़ाई है ये गालोँ की रंगत,
किसने जगाई है ये इश्क़ की चाहत,
कितना हँसा करता है,
अब कैसी है बेताबी आईने को बताऊँ कैसे,
किस कदर बह रहा है
हसरतों का तूफ़ान ये जताऊं कैसे,
कैसे कहूँ की दिल करता है
आँखों में काजल सजाऊँ,
होंटों पे शबनमी इश्क़ की लाली लगाऊँ,
सीने से लगाके उसको बस उसके प्यार में खो जाऊँ,
अब कैसे कहूँ किस कदर दिल बेकरार है,
दिल को सायद किसी हमसफ़र का इंतेजार है।

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