Wednesday 1 February 2017

चाहत


अपनी ही चाहत को हम अपना ना बना पाये

उनके खयालो की दुनिया में हम शामिल ना हो पाये

सिर्फ उनकी खोखली यादों में हमने ना जाने कितने दिये जलाये

फिर भी अफसोस अपनी मुहब्बत की दास्तान अपनो को सुना ना पाये

अब ना कोई उल्लास है ना कोई उमंग

सिर्फ और सिर्फ है तो अधूरी दास्तान के साथ जीने की एक जंग

लोग कहते हैं वो समझ नहीं सकते हमें

समझना उनकी फितरत में शामिल नहीं

छोड़ो समझने की बात

कभी समय मिले तो समझ के देखना की

जब दिल टूटता है तो आवाज़ नहीं आती

सिर्फ निकालते हैं आंख से आंसू

सारी दुनिया बहती हुई नज़र आती

और दुनिया के साथ तुम भी

रोकने की कोशिश करते

तुम्हें मगर रोक ना पाते

क्योंकि हम कभी खुद को

तुम्हारे ख्वाबों में ना पाते

बस ऐसे ही चलती है ज़िंदगी

बस ऐसे ही कट ता है जिंदगी का सफर

निकलती है दिल से आवाज़ “तुम ही थे,तुम ही हो, तुम ही रहोगे”

ना सही प्यार बनकर मगर एक कसक बनकर ज़रूर

अब चलते हैं दोस्त

चलना पड़ेगा ये खुदा ने कहा है

तुम भी चलोगे हम भी चलेंगे हमेशा अलग अलग

यही तो है आज का तजुर्बा और इस जिंदगी का रुत्बा.....

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