Saturday 19 September 2020

तू फिर भी मेरा नहीं....!!!


मेंरी आँखों के अल्फ़ाज़ पढ़ने की इजाज़त है तूझे,

पर नाकामी से.

तू फिर भी मेरा नहीं....!!!


मेंरे होंठो पर चंचल मुस्कान लाने की इजाज़त है तूझे,

पर नाक़ामी से.

तू फिर भी मेरा नहीं...!!!


मेरी घनी जुल्फों से अठखेलियां करने की इजाज़त है तुझे,

पर नाकामी से.

तू फिर भी मेरा नहीं..!!


मेरी कविताओं की मोतियाँ पिरोने की इजाज़त है तूझे,

पर नाकामी से.

तू फिर भी मेरा नहीं...!!! 


मेरी रोती हुई आँखों के आँसू पोंछने की इजाज़त है तूझे,

पर नाकामी से.

तू फिर भी मेरा नहीं.!!!


मेरी हर बातों को सुनते रहने की इजाज़त है तूझे,

पर नाकामी से,

तू फिर भी मेरा नहीं..!!


मेंरे सन्देश का पल में जवाब देने की इजाज़त है तूझे,

पर नाक़ामी से,

तू फिर भी मेरा नहीं...!!!


मुझे दिन-रात 'बे-इंतेहा' चाहने की इजाज़त है तूझे,

पर नाक़ामी से,

तू फिर भी मेरा नहीं.!!!


ये कैसा रिश्ता है, मेरे हर हक़ पर हुकूम की इजाज़त है तुझे,

पर नाकामी से.

तू फिर भी मेरा नहीं...!!

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