Friday 22 December 2017

अल्फाज़ों से कहाँ बयाँ होते हैं

अल्फाज़ों से कहाँ बयाँ होते हैं दिल के जज़्बात
वर्ना फिर इन खामोशियों की क्या विसात
कुछ बातें दिल से दिल की भी तो होती हैं
बिन बात आखें बस यूँ ही रोती हैं
बस आँखे दिल का हाल बयाँ करती हैं
अल्फाज़ों पे सौ सवाल खड़े करती हैं
इतनी खामोश भी नहीं होतीं ये खामोशियाँ
बहुत कुछ बयाँ करती हैं इनकी नजदीकियां
एक अजब सा सुकून मिलता है इनके साथ
जीत पाना इनसे अल्फाज़ों के बस की नहीं बात
कभी सोचना गहराईयों से एक बात
कुछ लोग बस यूँ ही करीब होते हैं
बात हो न हो दिल को अज़ीज़ होते हैं
ये खामोशियाँ करती हैं दिल से दिल की बात......

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